प्रस्तावना

मां के गर्भ से जन्में नवजात बच्चे को बाहरी दुनिया में एडजस्ट करना पड़ता है। शिक्षा बच्चे के खाने और नीचे पीने जैसे सभी क्षेत्रों में असहाय है । माता-पिता और अन्य लोगों के प्यार और मदद से बचपन की कमी से शारीरिक, मानसिक, भावनात्मक आदि का विकास होता है। ये वृद्धि सूत्र जन्म से लेकर मृत्यु तक निरंतर जारी रहते हैं। भले ही जीवन एक निरंतर त्रुटि है, कुछ विशेषताओं के आधार पर शिक्षाविदों और विचारकों ने मनुष्य के जीवन को चार भागों में विभाजित किया है । ये हैं बचपन बचपन (बचपन), बचपन (बाल डाकू), किशोरावस्था (किशोरावस्था) और प्राप्ति (वयस्कता)। इन हिस्सों को मानव जीवन के विकास का स्तर बताया गया है और प्रत्येक और की आयु सीमा भी तय की गई है। उम्र के स्तर को चर्चा की सुविधा के लिए इस तरह से विभाजित किया गया है हालांकि इस संबंध में शिक्षाविदों और विचारकों के बीच मतभेद देखे जाते हैं ।

Shopping Basket
0
    0
    Your Cart
    Your cart is emptyReturn to Shop