(1) यहाँ व्यक्ति के अस्तित्व को स्वीकार नहीं किया जाता है। इसलिए, व्यक्तियों के पूर्ण विकसित होने की संभावनाओं के लिए आवश्यक सुविधाओं की गुंजाइश है।
मत रहो।
(2) पड़ोसी देश के प्रति हिंसा और घृणा की भावना पैदा करने के जोखिम में अपने देश के लिए बहुत अधिक प्यार पैदा करना।
(3) देश के विकास पर लगातार ध्यान देने वाली शिक्षा प्रणाली में व्यक्ति को उसके विकास के लिए उचित मात्रा में प्रोत्साहन नहीं मिलता है।
(4) सामाजिक लक्ष्य भी पात्रता में व्यक्तिगत अंतर के प्रश्न की उपेक्षा करते प्रतीत होते हैं। शिक्षा सभी से समान होने की उम्मीद नहीं की जा सकती, भले ही सभी लोग सामाजिक परिवेश में शिक्षित हों।
(5) समाज को सर्वशक्तिमान मानते हुए व्यक्ति और समाज दोनों के लिए व्यक्ति की अपनी शक्ति, जरूरतों और भूमिका आदि पर उचित ध्यान न देना हानिकारक है।