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NCERT class 10 chapter 4।  एक ठैयाँ झुलनी हेरानी हो रामा। Hindi Medium


 एक ठैयाँ झुलनी हेरानी हो रामा

Chapter 4

1. हमारी आज़ादी की लड़ाई में समाज के उपेक्षित माने जाने वाले वर्ग का योगदान भी कम नहीं रहा है। इस कहानी में ऐसे लोगों के योगदान को लेखक ने किस प्रकार उभारा है?

उत्तरः हमारी आज़ादी की लड़ाई में समाज के उपेक्षित माने जाने वाले वर्ग का योगदान भी कम नही रहा है। टुन्नू व दुलारी जैसे पात्रों के माध्यम से उस वर्ग को उभारने की कोशिश की है, जो समाज में हीन या उपेक्षित वर्ग के रूप में देखे जाते हैं

2. कठोर हृदयी समझी जाने वाली दुलारी टुन्नू की मृत्यु पर क्यों विचलित हो उठी?

उत्तरः कठोर ह्रदयी समझी जाने वाली दुलारी टुन्नु की मृत्यु पर विचलित हो उठी क्योंकि- दुलारी टुन्नु को ढुतकारती थी लेकिन उसके मन में टुन्नु के लिए अच्छा भाव भी था।

 3. कजली दंगल जैसी गतिविधियों का आयोजन क्यों हुआ करता होगा? कुछ और परंपरागत लोक आयोजनों का उल्लेख कीजिए।

उत्तरः कजली दंगल जैसी गतिविधियों का आयोजन सिर्फ आनंद के लिए करता था। कुछ और परंपरागत लोक आयोंजन हैं- 

4. दुलारी विशिष्ट कहे जाने वाले सामाजिक-सांस्कृतिक दायरे से बाहर है फिर भी अति विशिष्ट है। इस कथन को ध्यान में रखते हुए दुलारी की चारित्रिक विशेषताएँ लिखिए।

उत्तरः दुलारी विशिष्ट कहे जाने वाले सामाजिक-सांस्कृतिक दायरे से बाहर है फिर भी अति विशिष्ट है।

 दुलारी की चारित्रिक विशेषताएँ हैं। 

 दुलारी एक प्रभावशाली गायिका हैं।उनकी आवाज बहुत मधुर हैं। वह पद्य में सवाल-जवाब करने में माहिर हैं। वह नारी हैं लेकिन पुरुषों को तक्कर देने की क्षमता रखती हैं।

5. दुलारी का टुन्नू से पहली बार परिचय कहाँ और किस रूप में हुआ? 

उत्तरः दुलारी का टुन्नु से पहली बार परिचय भादों में तीज़ के अवसर पर खोजवाँ बाज़ार में हुआ थाजहा उसे गाने के लिए बुलाया गया था वह पर ही टुन्नु को गाने के लिए बुलाया गया था। दुलारी टुन्नु आवाज सुनकर दंग रह गयी। उस दिन दुलारी का टुन्नु से मुलाकात   हुई। 

6. दुलारी का टुन्नू को यह कहना कहाँ तक उचित था-“तैं सरबउला बोल जिन्नगी में कब देखले लोट?…!” दुलारी के इस आपेक्ष में आज के युवा वर्ग के लिए क्या संदेश छिपा है? उदाहरण सहित स्पष्ट कीजिए।

उत्तरःदुलारी का टुन्नु को यह कहना बहुत अनुचित था कि “तैं सरबउला बोल जिन्नगी में कब देखले लोट?…”

7. भारत के स्वाधीनता आंदोलन में दुलारी और टुन्नू ने अपना योगदान किस प्रकार दिया?

उत्तरः भारत के स्वाधीनता आंदोलन में दुलारी और टुन्नु का बहुत बड़ा योगदान था। टुन्नु ने विदेशी वस्त्र जमा करके उस को जला दिया था। विदेशी कपड़े जलाने में उसने बढ़-चढ़ के आग-भाग लिया। और पुलिस की पिटाई भी खानी पड़ी। दुलारी ने अपनी रेशमी साड़ी व फेंकू द्वारा दिए गए रेशमी साड़ी के बंडल को देकर दिया।

8. दुलारी और टुन्नू के प्रेम के पीछे उनका कलाकार मन और उनकी कला थी? यह प्रेम दुलारी को देश प्रेम तक कैसे पहुँचाता है?

उत्तरः दुलारी और टुन्नु के पीछे उनका कलाकार मन और उनकी कला थी। यह प्रेम दुलारी को देश प्रेम तक पहुँचाता हैं कि- 

दुलारी और टुन्नु एक दूसरों प्रेम करते थे। वह यह भली भांति जानती थी कि टुन्नू का प्रेम शारीरिक ना होकर आत्मिय प्रेम था और टुन्नू की इसी भावना ने उसके मन में उसके प्रति श्रद्धा भावना भर दी थी। परन्तु उसकी मृत्यु के समाचार ने उसके ह्रदय पर जो आघात किया, वह उसके लिए असहनीय था। अंग्रेज अफसर द्वारा उसकी निर्दयता पूर्वक हत्या ने, उसके अन्दर के कलाकार को प्रेरित किया और उसने स्वतन्त्रता सेनानियों द्वारा आयोजित समारोह में अपने गायन से नई जान फूंक दी। यही से उसने देश प्रेम का मार्ग चुना।

9. जलाए जाने वाले विदेशी वस्त्रों के ढेर में अधिकांश वस्त्र फटे-पुराने थे परंतु दुलारी द्वारा विदेशी मिलों में बनी कोरी साड़ियों का फेंका जाना उसकी किस मानसिकता को दर्शाता है?

उत्तरः  जलाए जाने वाले विदेशी वस्त्रों के ढेर में अधिकांश वस्त्र फटे-पुराने थे परंतु दुलारी द्वारा विदेशी मिलों में बनी कोरी साड़ियों का फेंका जाना उसकी देशभक्ति की मान को दर्शाता हैं। उनका भारत के प्रति सम्मान को दर्शाता हैं।

10. “मन पर किसी का बस नहीं; वह रूप या उमर का कायल नहीं होता।” टुन्नू के इस कथन में उसका दुलारी के प्रति किशोर जनित प्रेम व्यक्त हुआ है परंतु उसके विवेक ने उसके प्रेम को किस दिशा की ओर मोड़ा ?

उत्तरः  “मन पर किसी का बस नहीं; वह रूप या उमर का कायल नहीं होता।” टुन्नू के इस कथन में उसका दुलारी के प्रति किशोर जनित प्रेम व्यक्त हुआ है परंतु उसके विवेक ने उसके प्रेम को किसी और ही दिशा में मोड़ दिया। टुन्नु 16 वर्ष का किशोर था। वही दुलारी यौवन के अस्ताचल पर खड़े थे। मतलब दुलारी टुन्नु से बड़े थे। 

11. ‘एही ठैयाँ झुलनी हेरानी हो रामा!’ का प्रतीकार्थ समझाइए ।

उत्तरः ‘एही ठैयाँ झुलनी हेरानी हो रामा!’ का प्रतीकार्थ यह हैं कि-  इसी स्थान पर मेरी नाक की लौंग खो गई है, मैं किससे पूछूँ? नाक में पहना जानेवाला लोंग सुहाग का प्रतीक है। दुलारी एक गौनहारिन है उसने अपने मन रूपी नाक में टुन्नू के नाम का लोंग पहन लिया है।

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