अनौपचारिक शिक्षा औपचारिक शिक्षा से व्यापक है। यह शिक्षा पूर्व नियोजित नहीं है। शिक्षण संस्थानों जैसे स्कूल-कॉलेज आदि के बाहर के अन्य स्रोतों से अप्रत्यक्ष रूप से प्राप्त शिक्षा को अनौपचारिक शिक्षा कहा जाता है। इस शिक्षा में छात्रों पर कोई प्रतिबंध नियम नहीं है। अनौपचारिक शिक्षा आवश्यकता के अनुसार अपने-अपने वातावरण में किसी व्यक्ति द्वारा स्वतंत्र रूप से प्राप्त की जा सकती है। यहां कोई प्रशिक्षित शिक्षक नियोजित नहीं है। यह शिक्षा महंगी नहीं है और इसलिए सभी वर्गों और उम्र के लोगों के लिए उपयोगी है । इस शिक्षा के अंत में कोई डिग्री, डिप्लोमा या प्रमाण पत्र नहीं दिया जाता है। छात्र का मूल्यांकन सामाजिक समायोजन से होता है। आवास, समाज में अनौपचारिक शिक्षा ली जाती है
धार्मिक आयोजनों, रेडियो, फिल्मों, सा र्वजनिक पुस्तकालयों और व्यक्तिगत जीवन में विभिन्न अनुभवों के माध्यम से। बच्चे के जन्म लेने पर शुरू होने वाली यह शिक्षा मृत्यु के क्षण तक जारी रहती है।